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अंतरिक्ष युद्धम 10

  6 महीने बाद स्पेसशिप पर


  स्पेसशीप पर 6 महीने का राशन खत्म होने को तैयार था, जॉर्ज ने भी शायद उतना ही राशन रखा था जितना राशन उसके सफर में काम आए। स्पेसशिप के मध्य भाग में जार्ज की जिंदगी अपने तीन साथियों के साथ अच्छी कट रही थी। हालांकि उनका आपस में कम ही घुलना मिलना था जैसा कि पहले ही यह जानकारी में आ गया। जॉर्ज का व्यवहार थोड़ा कड़क टाइप था जबकि जैक और जीवन सामान्य व्यवहार वाले बंदे थे और उनका चौथा साथी जय थोड़ा रूठा रूठा रहता था। सभी की जिंदगी में इस दौरान कुछ खास बदलाव नहीं आए थे, जो जिस तरह से पहले जीवन यापन कर रहा था अब भी लगभग वैसे ही कर रहा है। इसके अलावा सब मुख्य तौर पर अपने काम को समय पर ही समाप्त कर देते थे, इस वजह से उन लोगों के बीच कभी लड़ाई झगड़े वाले हालात भी नहीं आए। एक लंबे सफर में इस तरह के हालात अक्सर कई तरह की गड़बड़ियां पैदा कर सकते हैं। छोटा सा झगड़ा पूरी स्पेसशिप को तबाह कर सकता है। शायद इन चारों की इसी खासियत की वजह से जनडोर ग्रह के मुखिया महान वैनाडा ने भी उन्हीं लोगों का चयन किया। पृथ्वी तक आने और पृथ्वी से जाने, इन दोनों ही सफर में उन्हें पूरे 1 साल का वक्त लगा है और इस 1 साल के लिए दिमागी तौर पर जितनी मजबूती चाहिए थी वह इन चारों में दिख रही थी। जोर्ज में निर्णय लेने की खतरनाक क्षमता थी, जैक और जीवन लड़ने में माहिर थे, एक से एक बेहतर गैजेट को चलाना जानते थे। जय इन सब की तुलना में एक बेहतर स्काउट गाइड की तरह था। वह हालातों के हिसाब से कुछ भी कर सकता था।

    लंबे सफर के बाद स्पेसशिप की हालत भी कुछ हद तक बदल गई थी। उसके पीछे के लांचर में जंग लग चुका था, एक लांचर छतिग्रस्त भी हो चुका था जो रुक-रुक कर काम कर रहा था। लंबे सफर के अंतराल में उसमें कुछ खराबी आ गई होगी जो उसका यह हाल हुआ। स्पेस शिप की शील्ड अभी भी सही सलामत थी, प्रकाश गति से भी तेज सफर में इसने स्पेसशिप की बहुत हिफाजत की। कई सारे चटानी पत्थर स्पेसशिप से टकराते हुए बचे वो भी सिर्फ शील्ड की वजह से। इन खतरनाक टकरो के बाद शिल्ड का रंग थोड़ा बदल हुआ था। पहले जहां वह हल्के लाल रंग की थी वहीं अब वह गहरे लाल रंग की हो चुकी थी। शिल्ड के अंदर का हिस्सा जो स्पेसशिप के आगे था वहां शीशे से बाहर के दृश्य बेखुबी दिखा रहा था।

    ***

    6 महीने पूरे होने के बाद।

    मिशा राज और मिस्टर रावत की कैदगा्ह के आगे भारी कदमों की आवाज सुनाई दी। जय एक मशीनी सुट में ठप ठप की आवाज के साथ उनकी और आ रहा था। उसके हाथ में उसकी राइफल भी थी। राइफल का कोना नीली रोशनी से चमक रहा था। वह उनकी सलाखों के करीब आया और बोला।

    "सफर खत्म हो चुका है, हम सब जनडोर ग्रह के सौर मंडल में प्रवेश करने वाले हैं। कप्तान का हुक्म है कि मैं तुम लोगों को आजाद कर केबिन में ले आऊं ताकि तुम जनडोर ग्रह के सौरमंडल की सुंदरता का आनंद नजदीक से ले सको।" उसने कहने के साथ ही वहां बाहर लगे कई सारे बटनो में से कुछ बटन भी दबा दिए। एक-एक कर मिशा और मिस्टर रावत तथा राज की सलाखें खुल गई। लंबे मुद्दत के बाद सब के सब बाहर आए और आपस में गले मिले। राज और मिशा ने भी खुद को आपस में गले लगाया। जय ने राइफल पर पकड़ कसते हुए उन लोगों को सख्त चेतावनी दी। "रास्ते में किसी भी तरह की गड़बड़ी करने की कोशिश मत करना, अगर ऐसा किया तो मेरी राइफल तुम लोगों को बख्सेगी नहीं।" और वह उन तीनों को आगे कर उनके पीछे पीछे चल दिया।

    स्पेसशिप के केबिन में पहले से ही जॉर्ज जीवन और जैक मौजूद थे। सब ने आज अलग कपड़े पहने हुए थे जो उनकी स्पेसशीप की खास पोशाक थी, सफेद रंग के कुछ मशीनी सूट। तीनों ही सामने लगे कांच के शीशे की तरफ देख रहे थे, वहां कुछ नीली लाल रंग की लाइनों के बीच उनका सौरमंडल दिख रहा था। राज मिशा और मिस्टर रावत ने उनकी उस स्क्रीन की तरफ देखा, तो उनकी आंखें हैरत से भर गई। सौरमंडल को देखते ही सबको ऐसे लगा मानो उनके सामने ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत चीज हो।

***

 जनडोर ग्रह का सौरमंडल

   जनडोर ग्रह का सौरमंडल अपने आप में अद्भुत था। अक्सर कई सारे ग्रह किसी एक या दो तारें वाले सौरमंडल में उसके इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं। लेकिन यहां जो करिश्मा दिख रहा था उसमें जनडोर ग्रह के सौरमंडल के अंदर पूरे चार सूरज थे। यह चारों सूरज एक वर्गाकार रूप लेते हुए चोकोना आकृति बना रहे थें। जनडोर ग्रह के अलावा यहां 16 और छोटे-मोटे ग्रह दिखाई दे रहे थे। कुछ ग्रहों के अपने चंद्रमा थे जबकि कइयों को कृत्रिम चंद्रमा दिया गया था। देखने से लग रहा था कि 16 में से 6 ग्रह तो मशीनी थे, क्योंकि उनकी चमक चांदी जैसी थी और वह सामान्य ग्रह जैसे बिल्कुल नहीं दिखते थे। चार सूरज वाले इस सौर मंडल में बाहर की तरफ पत्थरों का एक सुरक्षा चक्कर बना हुआ था। यह पत्थर भी उल्कापिंड के रूप में इस चार सूरज वाले सिस्टम का चक्कर लगा रहे थे। शायद इस तरह के किसी भी सौर मंडल पर जीवन की कल्पना करना नामुमकिन है, पर हकीकत यही थी कि जीवन इन चार सूरजों के सौरमंडल के बीच भी पनप रहा था। इसके पीछे कई कारण रहे होंगे, सूरज कि संरचना देखकर लग रहा था कि उनमें ज्यादा गर्मी होने की संभावना नहीं, सिर्फ एक ही तारा था जो बड़ा था जबकि बाकी के तीन तारे छोटे-छोटे थें। फिर जिस जनडोर ग्रह की बात हो रही थी वह इन चारों चारों के इर्द-गिर्द चक्कर लगाता है न कि बीच से होकर निकलता है। इन परिस्थितियों की वजह से हो सकता है जनडोर ग्रह ऐसी स्थिति में आ गया जहां जीवन पनप सकता हो। फिर वहां विकास हुआ और उन्होंने लाजवाब क्षमता हासिल कर ली।

    ब्रह्मांड में पाए जाने वाले ज्यादातर सोलर सिस्टम अपने आप में अद्वितीय होते हैं। अरबों खरबों तारों के बराबर गैलेक्सी और वहां मौजूद करोड़ों करोड़ों ग्रह, उनका यही नियम है कि उन्हें इन तारों का चक्कर लगाना है। अगर कोई एलियन सभ्यता विकास की चरम सीमा पर भी पहुंच जाती है तब भी वह इस नियम को नहीं तोड़ सकते। इस चीज का नजारा यहां बेखुबी दिख रहा था । प्रकृति द्वारा बनाए गए नियम सौर्वभौमिक है और उसकी पालना हर जगह होती है। एलियंस जिस जनडोर ग्रह की बात कर रहे थे वह ग्रह इस वक्त इन चारों सूरजों के पीछे की तरफ था। ग्रह के दृश्य अभी तक आंखों के सामने नहीं आए थे। राज मिशा और मिस्टर रावत वह तो अभी तक यह देखकर हैरान थे कि इन चार सुरजों वाले सौरमंडल में कैसे कोई जीवन पनप सकता है। और पनपने के बाद उन्होंने विकास कैसे किया। फिर जब उन्होंने 4j की शारीरिक संरचना देखी तब उन्हें कहीं कहीं लगा कि उन लोगों की शारीरिक बनावट इस प्रकार की है कि वह ज्यादा से ज्यादा गर्मी सहन कर पाए। उनका शरीर मगरमच्छ की खाल की तरह मोटा और सख्त था। पैर पतले और लंबाई में ज्यादा थे। फिर आंख कान और नाक की स्थिति भी उन्हें इन भगोलीक परिस्थितियों में रहने लायक बनाती थी। उनके सर पर गोल लटटु जैसे पाई जाने वाली संरचना शायद इसलिए थी क्योंकि उनके मस्तिष्क को तेज गर्मी से बचना था। एक बार फिर से प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा था। राज, मिशा और मिस्टर रावत को पता लग गया कि अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों में जीवन अलग-अलग तरह से पनपता है। पृथ्वी के एग्जांपल में देखें तो हमारे यहां भी अलग-अलग परिस्थितियों में जीवन का विकास और उसकी उत्पत्ति अलग अलग तरीके से हुई है। जैसे समंदर में पाए जाने वाले जीव और स्थल पर पाए जाने वाले जीव दोनों की शारीरिक संरचना अलग अलग है, इसीलिए क्योंकि उन्हें अलग-अलग परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। हालात चाहे कैसे भी हो जीवन अपने लिए राह ढूंढ ही लेता है, यह कहावत भी आज सच होते हुए दिखाई पड़ रही है।

    जॉर्ज घूम कर तीनों धरती वासियों की तरफ देखने लगा। शायद जब वह हमारे सौरमंडल गया होगा तब उसे वह पिद्दी सा लगा होगा क्योंकि हमारे सौरमंडल में सिर्फ एक ही तारा हैं, और यहां 4-4 तारे हैं। इस बात से वह खुद को कुछ गौरवशाली महसूस कर रहा था। उसने उन तीनों को कहा

    "यह हमारा सौरमंडल है, तुम्हारे धरती के सौर मंडल से बिल्कुल अलग। तुम्हारे यहां सौरमंडल में सिर्फ एक ही तारा है लेकिन यहां हम लोग 4 तारों की परिस्थितियों में रहते हैं। इन चीजों की वजह से हमारा शरीर तुम लोगों के शरीर से अलग है, और हमारी भौगोलिक पृष्ठभूमि भी अलग-अलग है"

    जो भी चीज जॉर्ज ने बताई उन चीजों का अंदाजा तीनों पहले ही लगा चुके थे। हमारे यहां साइंस की क्लासों में शुरू से पढ़ाते आ रहे हैं कि जीवन अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग तरह से पनपता है, जिस वजह से इन चीजों को सोचने और समझने के लिए ज्यादा दिमाग खप्त नहीं करना पड़ता।

    जोर्ज की बात सुनकर राज ने सर हिला कर हामी भर दी। उसने जताया कि उसकी आंखों के सामने सच में एक विश्वास ना करने लायक दृश्य था। मिशा ने जॉर्ज की बात सुनने के बाद एक लंबा वाव कहा। मिस्टर रावत उन्होंने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी। एलियंस के इन बर्ताव ने एक पल के लिए तीनो के दिमाग से यह डर हटा दिया कि वह धरती से करोड़ों वर्षों की दूरी पर है। खैर, जो भी हो यह तो अभी शुरूआत थी। इन लोगों की सभ्यता काफी विकसित है इसलिए ऐसे कई और नजारे देखने को मिलेंगे जो पैरों तले जमीन खिसका दे।

    जॉर्ज ने कीबोर्ड पर कुछ बटन दबाएं और उनकी स्पेसशिप चार सूरज के बगल से होते हुए उनके गृह की तरफ जाने लगी। उनका ग्रह यानि जनडोर ग्रह....

    जनडोर ग्रह

    तकरीबन तीन से 4 मिनट के बाद ही उनकी स्पेसशिप के सामने वाली स्क्रीन पर जनडोर ग्रह के दृश्य आने लगे थे। वहां उन्हें सबसे पहले ग्रह के इर्द-गिर्द घूमता हुआ उनका अपना प्राकृतिक चंद्रमा दिखाई दिया। बर्फ पानी और मिट्टी से बना एक अनोखा चंद्रमा। राज मिशा और मिस्टर रावत की सांसे फिर से थमं चुकी थी। उन्होंने देखा जनडोर ग्रह का चंद्रमा लगभग हमारे चांद जैसा ही दिखता था पर जहां चांद पर पानी की एक बूंद तक होने की संभावना नहीं थी वहीं यहां बर्फ के बड़े-बड़े पहाड़ी चट्टान दिखाई दे रही थी। बर्फीली चट्टानों के बीच बहता हुआ पानी भी दिख रहा था। तीनों का दिमाग सवालों से भर गया। उनके सौरमंडल में पूरे 4 सूरज है जिससे यहां गर्मी अधिक रहती होगी फिर उनके चांद पर बर्फ कैसे आई। यह कैसे मुमकिन हो सकता है कि इतनी गर्मी के बाद भी अंतरिक्ष में किसी पिंड पर बर्फ जम जाए। उनके दिमाग के लिए यह बात प्रकृति के बिल्कुल उलट थी। फिर अचानक उनकी नजर एक सफेद पारदर्शी परत पर गई जो पूरे चांद के इर्द गिर्द बनी हुई थी। इससे पहले उस परत के बारे में कुछ पूछते जॉर्ज ने पहले ही बता दिया। वह बोला

    "यह हमारे ग्रह का इकलौता चंद्रमा है। तुम लोगों को दिखने में थोड़ा अलग दिख रहा होगा और तुम लोग सोच रहे होंगे कि यहां बर्फ और पानी कैसे आया (जोकि स्वभाविक था, उन्होंने यह सोचा था) विकास से पहले यह चांद आग से धधक रहा था। उसकी यह आग हमारे ग्रह पर छोलों की बारिश का कारण बनती थी। इससे अलग हुई चटाने हमारे ग्रह की ओर आती और छोटे-छोटे टुकड़ों में विघटित होकर काफी नुकसान करती । हमारे ग्रह के वैज्ञानिकों ने इससे निपटने के लिए इसके इर्द-गिर्द एक पारदर्शी परत का निर्माण कर दिया जो इस और आने वाले विकिरणों को परावर्तित करने लगा। तुम लोगों की भाषा में कहूं तो हमने इस चांद के इर्द-गिर्द कृत्रिम वायुमंडल बना दिया, तुम्हारे यहां चांद के चारों और कोई वायुमंडल नहीं हमारे यहां भी यही था। हम लोगों ने यहां वायुमंडल बनाया जिससे गर्मी कम होने लगी और पानी और बर्फ का निर्माण हुआ। इस चीज से हमारे ग्रह को भी दो फायदे हुए, पहला फायदा हमारे ग्रह की गर्मी कम हो गई और दूसरा फायदा हमारे ग्रह के छोटे मोटे बच्चे यहां खेलने आ सकते थे। हम लोगों उन्हें छोटे-छोटे यानो में भेजकर अक्सर यहां सैर करवाया करते हैं"

    यह सुनने के बाद तीनों धरती वासियों के मानो रोंगटे खड़े हो गए, क्या दिलचस्प नजारा है और क्या दिलचस्प कहानी। चांद को कृत्रिम वायुमंडल देना, सच में गजब की सोच है। यह बात यह भी पुख्ता करती है उनकी सभ्यता का विकास धरती वासियों से दो हजार गुना ज्यादा है।

    स्पेसशिप आगे बढ़ने लगी और उन्होंने जनडोर ग्रह के चांद को पार किया। अब उनके सामने एक ऐसा ग्रह आ रहा था जो अपनी आधुनिकता में चरम सीमा पर पहुंच कर उसे पीछे भी छोड़ चुका था। ऐसा ग्रह है जो कभी मानव मस्तिष्क की कल्पना में भी नहीं उभरा होगा। ऐसा ग्रह जिसे सपनों की दुनिया में भी देख पाना संभव नहीं।

    दूर से उसके नीले रंग का वातावरण दिख रहा था जो बिल्कुल हमारी पृथ्वी की भांति था। उसके इर्द-गिर्द एक लोहे की गोल रचना घूम रही थी और वो ऐसे लग रही थी जैसे इस ग्रह को किसी ने रिंग के अंदर डाल दिया हो। रिंग के ऊपर बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनी हुई थी जो ग्रह के बाहर भी जीवन के सबूत दर्शा रही थी। जॉर्ज उन बिल्डिंग्स की तरफ इशारा करते हुए बोला।

    "यह हमारा स्पेस स्टेशन है। यहां से हमारे अंतरिक्ष यान लोगों को लेकर दूसरे ग्रहों के लिए यात्रा भरते हैं। तुम लोगों की भाषा में कहां जाए तो यह रेलवे स्टेशन की भांति है और इसका काम एक प्लेटफार्म का है। किसी भी अंतरिक्ष यान को इससे आगे जाने की अनुमति नहीं सिवाय हमारे। हम लोगों को महान वेनाडा ने अपना अंतरिक्ष यान ग्रह के अंदर ले जाने और वापस लाने की अनुमति दे रखी है।" यह सब बताते वक्त वो इशारों इशारों से चीजों को दिखा भी रहा था। उसने बिल्डिंग्स और वहां खड़े उनके जैसे दिखने वाले कुछ लोग भी दिखाएं, जो अपने स्पेस सूट में थे। फिर कई सारे छोटे-छोटे यान दिखे जो ग्रह के बाहर अपनी यात्रा के लिए तैयार थे। मतलब, एक बात और स्पष्ट हो रही थी... यह एलियंस खोजी अभियान में खास दिलचस्पी रखते हैं। इन लोगों के उद्देश्य में दूसरे ग्रहों की तलाश करना और वहां पर जीवन की खोज करना भी शामिल है जो उनके छोटे यानों को देखकर साफ पता लग रहा था।

    जॉर्ज ने यान को आगे बढ़ाया और उसे नीले वातावरण की तरफ कर दिया। नीले वातावरण से पहले उन्होंने एक पीले रंग के पारदर्शी कवच को पार किया। गजब!! जनडोर ग्रह तो धरती की तरह ही हरा भरा था। यहां पानी, पहाड़, चट्टाने, मिट्टी, हर तरह की चीज दिखाई दे रही थी। हालांकि पेड़ पौधों की लंबाई पृथ्वी के पेड़ पौधों की लंबाई की तुलना में कई गुना अधिक थी। चटाने गहरे लाल रंग की थी और पानी का रंग भी गहरा नीला था। कई सारे शहर आसमान से ही दिख रहे थे। उन शहरों का रूप धरती जैसा ही था और बिल्डिंग आसमान को छू रही थी। दूर से देखने पर कुछ जगहों पर मिस्र के पिरामिड जैसी सरचनाएं भी दिखाई दे रही थी। राज मिशा और मिस्टर रावत दिखाई देने वाले शहरों की खूबसूरती में पूरी तरह से खो गए थें।

    उनका अंतरिक्ष यान कई सारे शहरों में से एक शहर की तरफ जाता हुआ जमीन पर उतरने लगा। वहां एक लंबा सा रेनवे बना हुआ था जिससे एक उभरती हुई आकृति पर जाकर यान को उतारना था।

***

टेक्स

    स्पेसशिप के अंदर जॉर्ज ने तीन मास्क जैसे दिखने वाले गैजेट धरती वासियों को दे दिए। वह गैजेट देते हुए बोला

    "यहां के वातावरण में नाइट्रोजन गैस की मात्रा अधिक है, ऐसे में तुम लोगों को थोड़ी तकलीफ हो सकती है। यह मास्क नाइट्रोजन गैस की मात्रा को तुम्हारे लिए कम रखेगा और तुम लोगों को जरूरी गैस ऑक्सीजन ही मिलेगी"

    राज, मिशा और मिस्टर रावत ने वह मास्क पहन लिए। जल्द ही उनका स्पेसशिप बाहर निकली हुई उस जगह पर उतर रहा था। चारों लांचर दिशा बदलकर नीचे की तरफ हो गए और धीरे-धीरे उनके अंदर से निकलने वाला पदार्थ कम होने लगा। वह ऊंची जगह पर आया और फटाक से उसके ऊपर उतर गया। जैसे ही वह स्पेसशिप उस जगह पर उतरा वहां 4 क्लिप ऑटोमेटिक निकलकर स्पेसशिप से जुड़ गए। इनके जरिए उनका यान चोरी नहीं हो सकता था और यह उनके सुरक्षा व्यवस्था भी थी।

    धीरे-धीरे स्पेसशिप का मुख्य गेट नीचे की ओर खुलने लगा। चारों एलियंस तीनों धरती वासियों को लेकर गेट के पास ही खड़े थे। स्पेसशिप का दरवाजा खुलते ही वह उन तीनों को लेकर बाहर आ गए।

    अब शहर के दृश्य खुलकर तीनों के सामने आ रहे थे। जहां स्पेसशिप खड़ी थी वह जगह उन्हें पानी में तैर रहे किसी डेक की तरह लग रही थी। एक लंबी लोहे की विशालनुमा संरचना, जो कई किलोमीटर तक फैली हुई थी। तकरीबन 2 किलो-मीटर लम्बा ग्राउंड होगा जो अंतरिक्ष से आने वाले यानो को ठहरने के लिए बनाया गया था। इसके बाद गेरुआ रंग की बनी हुई बिल्डिंगें नजर आ रही थी। इतना तो पहले ही पता लग गया था कि यह ग्रह एक बसा हुआ ग्रह है और यहां जीवन पिछले कई करोड़ सालों से रहा होगा। तभी लगभग ग्रह के हर भुभाग पर जीवन मौजूद था।

    चारों एलियन जॉर्ज, जैक, जीवन और जय उन तीनों को लेकर सपेसशीप से तकरीबन डेढ़ सौ मीटर दूर आ गए। वहां आकर जोर्ज ने अपने हाथ पर बंधी घड़ी पर कुछ बटन दबाएं। बटन दबाने के बाद वह अपने आसपास देखने लगा। मिशा और राज के पल्ले से बाहर था कि अभी आगे क्या होने वाला है। लेकिन जल्द ही उन्हें पता लग गया। दूर एक छोटी सी चीज उड़ते हुए उनकी ओर आ रही थी। यह उनकी उन्नत तकनीक का बना कोई साधन था जिसका उपयोग ये लोग आवाजाही के लिए करते हैं। दिखने में वह वैन के जैसा था लेकिन बिना किसी ड्राइविंग सीट के। वह स्वचालित था।

    जॉर्ज ने मिशा और राज को कहा "यह हमारे यहां की कारें हैं जो बिना ड्राइवर के चलती है। इन्हें हम लोग टेक्स कहते हैं। यह चुंबकीय सिद्धांत के आधार पर गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध काम करती है और बिना किसी खास इंधन के आसमान में एक किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती हैं। इस ग्रह पर सभी लोग इसी साधन का उपयोग करते हैं। बड़े पदों वाले लोगों के पास इसके बेहतरीन डिजाइन हैं जबकि आम लोगों को इसका सामान्य डिजाइन दिया गया है"

    फिर वह तीनों को लेकर उस साधन के अंदर बैठ गया जिसे उसने टेक्स का नाम दिया था‌। टेक्स बाहर से दिखने में तो ठीक-ठाक थी पर अंदर से उसका नजारा कुछ अलग ही था। शानदार गद्देदार सीटें और बैठने के लिए अनुकूल व्यवस्था। कुल 10 लोग इस टेक्स के अंदर आराम से आ सकते थे। वहां फर्स्ट एड, दूसरे लोगों से संपर्क करने का उपकरण, और ऑटो मैन्युअल तथा दूसरी काम की चीजें भी थी। अंदर जाने के बाद जॉर्ज टेक्स के स्पीकर में बोला। हमें दरबार ले चलो। इसके बाद टेक्स ने उड़ान भरी और वह हवा में उठकर आसमान में उड़ने लगी।

    वह जमीन से तकरीबन 800 मीटर की ऊंचाई पर थी और बिल्डिंग के बीच में से होते हुए जा रही थी। इससे पता लगता है कि बिल्डिंग्स की ऊंचाई कहीं ज्यादा अधिक थी। अगर अंदाजा लाकर बिल्डिंग की ऊंचाई के बारे में बताया जाए तो वह 2000 मीटर के करीब पहुंच जाएगी। इतनी ऊंची बिल्डिंग का निर्माण तभी संभव है जब आप लोगों के पास एक कुशल तकनीक हो।

    सफर के दौरान मिशा राज से बोली "पहले मुझे लगा था इन एलियंस के साथ बहुत बुरे फंसे हैं, पर अब लग रहा है जैसे हम लोग स्वर्ग में आ गए। यह सब चीजें देखने में बहुत सुंदर लग रही है" मिशा टेक्स में लगे कांच के शीशे से बाहर के परिदृश्य देख रहीं थी।

    "हां" राज ने जवाब दिया "ऐसे लग रहा है मानो जैसे हम भविष्य में 500 साल आगे पहुंच गए और हम हमारी धरती पर ही हैं। चीजों में ज्यादा फर्क नहीं.... बस इंसानों की जगह यह एलियन हैं"

    मिस्टर रावत ने भी उन दोनों की बातचीत में दस्तक दी "जब मैं धरती पर वापस पहचुगां तब उन्हें बताऊंगा हम लोग क्या देखकर आएं। यकीन मानो जब धरती वाले इसके बारे में जानेंगे तो भूचाल आ जाएगा। इस चीज पर अगर मैं किताब लिख दुं तो नोबेल प्राइस का ढेर लग जाएगा। ‌ लोग मुझे पता नहीं कितने सारे अवार्ड से नवाजेंगे। यह चीज किसी बच्चे के सपने पूरे होने से कम नहीं.... वह भी उस बच्चे के जो पिछले कई सालों से एक ही सपना देखता आ रहा है"

    राज ने खुशी के साथ साथ कुछ अलग भाव प्रकट किए। उसे देखकर लग रहा था कि वह किसी तरह की टेंशन में हैं। "लेकिन" राज बोला "हमें इन एलियंस की मंशा के बारे में नहीं पता। ना ही हम जानते हैं इनके इरादे क्या है। जब तक इनका पता नहीं लगता तब तक यह सब चीजें हमारे लिए बस आकर्षण का एक तरीका है। अगर इनके इरादे खतरनाक हुए तब यह सब हमारे कुछ काम नहीं आएंगा। अगर इनके दिमाग में धरती पर हमला करने की रंजिश या हमें मार देने का विचार हुआ तो समझो.... इन लोगों ने हमें बलि का बकरा बनाया ... और आसपास की यह सारी चीजें बकरे को बलि से पहले दी जाने वाली खुराक है।

    मिशा ने भी राज की बात से सहमति जताई "तुम सही कह रहे हो राज, पहले हमें यह पता करना होगा कि इन्हें हमसे चाहिए क्या?? यह लोग हमें यहां क्यों लेकर आए हैं??"

    तीनों को नहीं पता था इन एलियन को उनसे क्या काम है। इस चीज ने जल्द ही टेक्स के अंदर एक घौर सन्नाटा पैदा कर दिया। मस्तिष्क में आ रहे विचारों की धारा थम गई और वह लोग सफर के खत्म होने का इंतजार करने लगे। जैसे ही यह छोटा सा सफर खत्म होगा उन्हें पता चलेगा उनका काम क्या है।


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3 Comments

Miss Lipsa

30-Aug-2021 08:46 AM

Bohot sundar

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GoD AnS

12-May-2021 08:04 PM

Wow

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Apeksha Mittal

11-May-2021 02:45 PM

बहुत अच्छा सर

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